मातापिता चाहते थे कि ब्रुस ली आत्म रक्षा के लिए मार्शल-आर्ट सिखे Part-3

 

ब्रुस ली


               ब्रुस ली अभिनेता, डायरेक्टर, राइटर और प्रोडयूसर होने के साथ-साथ दार्शनिक भी थे। उनका कहना था कि यदि किसी चीज को सोचने में आप बहुत अधिक समय जाया करते हैं तो आप उस चीज को कभी नहीं कर सकते। ब्रुस ली हमेशा से कुछ बडा करने की चाहत रखते थे और वह हमेशा सिखने के लिए तैयार रहते थे। वह हमेशा कुछ ने कुछ नया सिखते रहते थे। उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय मार्शल-आर्ट सिखने और किताने पढने में लगाया। ली जो भी पढते थे, उसे अपने जीवन में उतारते थे, क्योंकि वह सिर्फ ज्ञान एकत्रित करने में विश्वास नहीं रखते थे बल्कि उस ज्ञान को माध्यम बनाकर सफलता पाने में इसका प्रयोग करते थे। 

ब्रुस ली के लिये मार्शट-आर्ट सिर्फ एक लडाई नहीं थी, यह जीवन जीने की एक कला थी। ली का कहना था कि जिंदगी हमेशा बदलती रहती है और यदि हमने भी इसके साथ बदलना न सिखा तो हमें हमेशा बाधांओं को सामना करना पडेगा। हमे जीवन के साथ बदलना सिखना होगा ताकि हम सिखकर उन बाधाओं को पार कर सकते हैं। ली का कहना था कि पानी शांति की निशानी है, लेकिन पानी बहुत भी शक्तिशाली है। पानी कोई भी आकार ले सकता है, उसे गिलास या कप में डालतें हैं तो वह उसी शेप में आ जाता है। पानी इतना शक्तिशाली है कि आप इसे परेशान नहीं कर सकते। पानी बिना किसी भी रूकावट को झेले लगातार बहता रहता है और अपना रास्ता बनाता रहता है। इसलिए पानी की तरह बनो मेरे दोस्त। 

                                      ली का कहना था कि जीवन में चुनौतियों तो आती रहेंगी, लेकिन बेहतर तो यह कि बिना परेशान हुए उन चुनौतियों को स्वीकार करना और जीतना। उनका कहना था कि रूका हुआ पानी सड जाता है, इसलिए हमेशा बहते रहो। जब एक पत्रकार ने ली से प्रश्न किया कि क्या आप भगवान में विश्वास करते हैं तो ब्रुस ली ने तुंरत कहा कि बिल्कुल नहीं। पत्रकार को लगता था कि ली इस प्रश्न पर अपना बचाव करंेगे या इस प्रश्न का उत्तर ही नहीं दंेगे। पत्रकार उनकी साफगोई देखकर हैरान था। ब्रुस ली का फोक्स लेजर की तरह था। 

                           ब्रुस ली कहते थे कि पहले देखो, सोचो और करो। स्वयं तर्क कर उस चीज को समझो उसके बाद ही उसे मानो। किसी के कहने भर से उस बात को नहीं मान लेना चाहिए। ली का कहना था कि आप अपने जीवन से गैर जरूरी चीजों को हटा दो, तभी आप बेहतर बन सकते हैं। गैर जरूरी चीजों में फसे रहने से आप अपना समय नष्ट करते हैं। जब एक पत्रकार ने ब्रुस से प्रश्न किया कि आप अमरीकी हैं या फिर चायनीज तो ली ने तपाक से जवाब दिया कि वह सिर्फ एक इंसान हैं। 

                             उनका मानना था कि यदि व्यक्ति अपनी कला के चरम पर है तो उसे अन्य किसी भी चीज की आवश्कता नहीं है। अपनी कला के चरम पर पहुंचने के लिए हमे गैर जरूरी चीजों को हटाना होगा। ली का कहना था कि यदि हम सच में अपने आप पर विश्वास करते हैं तो हम कभी दूसरों की कॉपी नहीं करेंगे। लोग दूसरों के जैसा बनने की कोशिश करते हैं, इसलिए उनके द्वारा किये गए काम भी अलग नहीं लगते। सिर्फ बातंे करने में मत लगे रहो, काम में जुटने में विश्वास रखो। ली यहां यह कहना चाह रहे हैं कि हमें बातचीत में समय जाया न करते हुए अपने लक्ष्य को पाने के काम पर जुट जाना चाहिए। 

                                         ली का कहना था कि सफलता की राह में असफलता तो आएगी ही, लेकिन बुरा तो तब है जब हम असफलता के डर से सफलता की राह पर चलना ही छोड दें। छोटे लक्ष्य बनाना एक अपराध के समान है। बडा लक्ष्य पाने में भी असफल हुए तो भी यह शान की बात है। जब बु्रस ली ने एशियन, अमेरिकन, अफ्रिकन सभी को बिना किसी भेदभाव के सिखाना शुरू किया तो नस्लीय भेदभाव करने वाले चायनीज को यह अच्छा नहीं लगा। ब्रुस ली चीनी मार्शल-आर्ट के छुपे हुए रहस्य बताने वाले पहले अध्यापक बने। इसी वजह से कुछ चाइनीज मास्टर उनसे नाराज रहने लगे और उन्हें ऐसा न करने की धमकी देने लगे। उन्होंने कहा कि यदि तुम यह सब करना बंद नहीं करते तो तुम्हे हमारे बेस्ट फाइटर से लडना होगा। यदि तुम हार जाते हो तो तुम्हे यह सब सिखाना बंद करना होगा। यदि वे ब्रुस ली के बारे में सच में जानते तो कभी ऐसा नहीं करते।

                                     ब्रुस ली ने झट से चैलेज को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद फाइट हुई। यह फाइट सिर्फ तीन मिनट चली। इसके बाद ली को किसी ने चैलेंज नहीं किया और वह बिना किसी रूकावट के अपना मार्शल-आर्ट स्कूल चलाते रहे। ली का ऐसा मानना था कि फाइट करने की कोई एक शैली नहीं हो सकती, यह भी जीवन की तरह बदलती रहती है, यह उस पानी की तरह है जो कि बहता रहता है। ली का कहना कि आपकी जिंदगी ही आपका सबसे बडा टीचर है। जिंदगी से बेहतर आपको कोई सिखा नहीं सकता।

जेकेडी यानी जीत कुन-डो 

जब ब्रुस ली की कमर में चोट लग गई तो डॉक्टर ने उन्हें बताया कि अब वह कभी भी मार्शल-आर्ट का अभ्यास नहीं कर पाएगें। ऐसा लगा कि ब्रुस ली ने डॉक्टर की बात सुनी ही न हो। उन्होंने समय को जाया नहीं होने दिया। उन्होंने अलग-अलग मार्शट-आर्ट कला पर लेख लिखे। उनके इन्ही लेखों के आधार पर आठ किताबे प्रकाशित की गई। उन्होंने इस दौरान जीत कुंन-डो नामक शैली इजाद की। जब वह ठीक हो गए तो उन्होंने मार्शल-आर्ट की ओर अधिक अभ्यास करना शुरू कर दिया। 

मातापिता चाहते थे कि ब्रुस ली आत्म रक्षा के लिए मार्शल-आर्ट सिखे

हर मातापिता चाहते हैं कि उनका बेटा मजबूत बने और किसी भी स्थिति का सामना कर सके। वह स्वयं अपनी आत्म रक्षा कर सके। क्योंकि मातापिता तमाम उम्र नहीं बैठे रहते। अपने बेटे को मजबूत बनाने के लिए ब्रुस ली  की मां ने उन्हें मार्शल आर्ट की टेनिंग लेने की सलाह दी। जिसके बाद ली इपमैन को खोज निकाला जो कि रेस्टोरेंट एरिया में विंग चुन की टेनिंग दिया करते थे। 


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